भारत मे पर्याप्त स्वास्थय सुधाएँ उपलब्ध नहीं है यह बात सबको पता है जितनी तेज़ी से मरीज़ो की संख्या बढ़ रही है चिकित्सको की संख्या लगातार कम ही होती जा रही है इसी समस्या से निपटने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्वास्थ्य विभाग से चिकित्सकों के लिए तीन साल का डिप्लोमा कोर्स शुरू करने पर विचार करने के लिए कहा था जो बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मे काम करेंगे |
पढ़ कर कुछ अजीब सा लगता के तीन साल मे डिप्लोमा करके मरीज़ो का इलाज के संभव है| वैसे तो इस प्रस्ताव का उद्देश्य लोगो को प्रशिक्षित करके ग्रामीण छेत्रों में चिकित्सकों की कमी को पूरा करना है जो उन छेत्रों मे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों मे सेवा देंगे जिससे ग्रामीण आबादी को बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान की जाएँ | इस प्रकार का प्रस्ताव रखने के पीछे क्या कारण है इस बात को विस्तार के समझना ज़रूरी है तो आइये इसके पीछे के कारणो को समझने का प्रयास करते है -
भारत मे MBBS सीटों की अच्छी ख़ासी संख्या है जिसमे हर साल सभी सीटें भर जाती है इतने विद्यार्थी दाखिला लेते है फिर भी ग्रामीण छेत्रों मे चिकित्सकों की कमी बनी हुई है जिसका मुख्य कारण यह है की ये लोग ग्रामीण छेत्रों की जगह शहरी छेत्रों मे प्रैक्टिस करना पसंद करते है जिसके कारण ग्रामीण आबादी चिकित्सीए सुविधाओ से वंचित रह जाती है |
क्यू लोग ग्रामीण छेत्रों के ऊपर शहरों को महत्व देते है इसका जवाब जानना कोई मुश्किल काम नहीं है सबको ही पता है के ग्रामीण छेत्र मे बुनियादी सुविधाएं न के बराबर उपलब्ध होती है सुविधाये उस प्रकार उपलब्ध नहीं होती जितनी शहरों मे होती है भोगोलिक बाधाएँ होती है परिवहन की भी पर्याप्त सुविधा उपलब्ध नहीं होती है | यही कारण है की ग्रामीण इलाकों मे चिकित्सकों की कमी रहती है |
ग्रामीण इलाकों मे पूरी तरह से योग्य चिकित्सकों को लाना ओर उन्हें वहाँ बनाए रखना महंगा ओर चुनौती पूर्ण हो साता है इसलिए शायद बंगाल के मुख्यमंत्री को तीन का डिप्लोमा करवा कर लोगो को ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए लाना ज्यादा अच्छा समाधान लगा हो |
जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते है इस प्रस्ताव के भी आपने लाभ ओर हानि है लाभ देखे तो ग्रामीण इलाकों मे चिकित्सकों की कमी पूरी होगी लोगो तक चिकित्सीए सुविधायें पहुचेंगी जिससे आपात की स्थिति से निपटने के लिए बेसिक सुविधाए उपलब्ध हो जायेगी |
लेकिन किसी बीमारी को अगर मिटाना हो तो उपर उपर से उसका इलाज करके जड़ से मिटाना संभव नहीं है अगर बीमारी को पूरी तरह मिटाना हो तो उसका इलाज परमानेंट होना चाहिए ठीक उसी तरह 3 साल का डिप्लोमा करवा कर बेसिक तौर पर चिकित्सको को उपलब्ध करवाया जा सकता है लेकिन इसका पर्मामेंट इलाज यही होगा चिकित्सकों को ग्रामीण इलाकों मे प्रैक्टिस करने के लिए प्रोत्साहित किया जाये ताकि वे खुशी खुशी ग्रामीण इलाकों मे आए जिसके लिए ज़रूरी है कि बेसिक सुविधाएं उपलब्ध कारवाई जाये परिवहन की कमी को पूरा किया जाये प्राथमिक तौर पर इलाज़ के लिए जिस जिस सामान की ज़रूरत होती है वह सब उपलब्ध करवाया जाये ताकि जो चिकित्सक ग्रामीण छेत्र मे आए वह अपने चिकित्सीए छेत्र का महारथी हो |
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